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हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.in                                          जयपुर।  राजस्थान में 13 से 15 वर्ष के स्कूली बच्चों में तंबाकू एवं धूम्रपान का बढ़ता प्रचलन सभी के लिये चिंता का विषय है। राज्य में जितने किशोर धूम्रपान करते हैं, उनमें से 93.8 प्रतिशत इसका इस्तेमाल स्कूलों में करते है। यह जानकारी वैश्विक युवा तम्बाकू सर्वे (जीवाईटीएस 2019) में सामने आई है। सवाई मानसिंह चिकित्सालय में ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पवन सिंघल ने गुरुवार को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर तंबाकू उद्योग के दखल से बच्चों को बचाने का अभियान शुरु किया है। तंबाकू उद्योग मार्केटिंग के नए तरीकों से युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।

 

 


डॉ सिंघल ने बताया कि जीवाईटीएस के अनुसार तंबाकू उद्योग अपने उत्पादों के प्रचार के नायाब तरीकों से युवा किशोर किशोरियों को अपनी और आकर्षित करते हैं। जिसका सीधा असर युवा वर्ग पर देखने को मिल रहा है। सर्वे में सामने आया कि राज्य में करीब 74.3 प्रतिशत किशोर एवं किशोरियों ने तंबाकू एवं अन्य संबंधित उत्पादों के प्रचार प्रसार को देखा है। वहीं 15.6 प्रतिशत किशोर एवं किशोरियों को ई सिगरेट के बारे में किसी तरह की जानकारी है। इसमें 17.2 प्रतिशत किशोर एवं 13.7 प्रतिशत किशोरियां शामिल हैं।

 

 


उन्होंने बताया कि राज्य में 13 से 15 वर्ष के बच्चे जो तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं, उनमें 93.8 प्रतिशत स्कूली बच्चे होते हैं। 16.3 प्रतिशत किशोर तंबाकू उत्पादों का सेवन किसी न किसी रुप में कर चुके हैं। इस दौरान पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में 12.1 प्रतिशत इसका इस्तेमाल करते हैं, वहीं शहरी क्षेत्र में इसका प्रतिशत 5.6 है।  सिंघल ने कहा कि कोटपा कानून के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को तंबाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों की बिक्री नहीं होनी चाहिये, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। कोटपा का प्रभावी तरीके से पालन हो तो तंबाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के उपभोग को कम किया जा सकता है।

 

 


उन्हाेंने कहा कि अप्रत्यक्ष रूप से तंबाकू उत्पादों का प्रचार-प्रसार करने वाली सभी कंपनियां कानूनों को दरकिनार करके युवाओं को लुभाने का काम कर रहीं हैं। फिल्म एवं खेल जगत से जुड़े लोगों को जिन्हें युवा अपना आदर्श मानता है, वे ही युवाओं को विज्ञापनों के माध्यम से भ्रमित करने का काम कर रहें हैं। युवाओं को तम्बाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन के नुकसान की पूरी जानकारी नहीं होती, जिसके अभाव में वे इनका उपभोग शुरू कर देते हैं और इसके आदी हो जाते हैं। डॉ सिंघल ने कहा कि युवाओं को इससे बचाने के लिये तंबाकू उद्योगों द्वारा अपने उत्पादों के प्रति आकर्षित करने के प्रयास पर प्रभावी अंकुश, बच्चों एवं युवाओं को तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति निरंतर जागरूक करने और तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों पर भी रोक लगाने की जरूरत है।

 

 


उन्होंने बताया कि एसएमएस अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में कम उम्र के बच्चों एवं युवाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। यहां राजस्थान के साथ हरियाणा, पंजाब, यूपी, झारखंड सहित कई राज्यों के मरीज आ रहें हैं। इनमें से अधिकतर तंबाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से होने वाले रोगों से ग्रसित होते हैं। इनमें से कई मुंह एवं गले के कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होतें हैं। उन्होंने बताया कि कम उम्र में तंबाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से युवाओं में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। तंबाकू उद्योगों के द्वारा ई सिगरेट को इस ढंग से प्रचारित किया जाता है कि सामान्य धूम्रपान से यह कम हानिकारक है। जिसके चलते युवा भ्रम की स्थिति में उसकी और आकर्षित हो जाते हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा 2019 में ई सिगरेट को प्रतिबंधित किया गया है। इसके बावजूद भी इसकी उपलब्धता चिंता का विषय है।

 

 


सुखम फाउंडेशन के ट्रस्टी डा.सोमिल रस्तौगी ने बताया कि जयपुर, बीकानेर, उदयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा सहित राज्य में हुक्का बार का संचालन बड़े पैमाने पर हो रहा है। इनमें कई तरह के फ्लेवर्ड हुक्का निकोटिन से भरपूर युवाओं को परोसे जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इनका इस्तेमाल मस्तिष्क सहित पूरे शरीर के लिये नुकसानदायक है। इसके लिये आमजन को भी पुलिस विभाग का सहयोग करना पड़ेगा, तभी इस तरह के हुक्का बार पर प्रतिबंध लग सकता है।

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