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सूर्य ग्रहण एक भौगोलिक क्रिया है। जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्व है। जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण लगता है। उसका असर राशियों पर शुभ और अशुभ दोनों तरह से देखने को मिलता है। दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर 2022 को साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है।
खंडग्रास सूर्यग्रहण तारीख 25.10.2022 कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या मंगलवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा इस ग्रहण का भारतीय समय से स्पर्श 16:28 बजे से ग्रहण मध्य 17:14 बजे तक एवं मोक्ष 17:57 बजे होगा संपूर्ण भारत में जहां पर भी ग्रहण दृश्य होगा वहां पर ग्रस्ता ग्रस्त सूर्यग्रहण ही दृश्य होगा।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने के 12 घंटे पहले से आरंभ होता है और ग्रहण के साथ समाप्त होता है। चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। इस लिए इसका सूतक काल मान्य होगा।
क्या होता है आंशिक सूर्य ग्रहण?
जानकारी के मुताबिक, आंशिक सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि को शेप में आता है। आंशिक सूर्य ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है। बताया जाता है कि इस ग्रहण के दौरान सूर्य और पृथ्वी की दूरी अधिक हो जाती है इसलिए सूर्य का प्रकाश धरती तक पहुंचने से पहले चन्द्रमा बीच में आ जाता है और सूर्य का कुछ भाग ही नजर आता है. इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं।
ग्रहण का प्रभाव
इस ग्रहण से जगत में कल्याण, धन की वृद्धि, उपद्रव का नाश हो, जिससे प्रजा को आनंद किंतु राज पुत्रों को पीड़ा हो! सुनार, लोहार, हलवाई, आदि से आजीविका करने वाले और प्रजा को पीड़ा और धान्यादी का भाव सस्ता हो जावे वाहनों को कष्ट, दुर्भिक्ष का भय चोरों का तथा अग्नि का उपद्रव या प्रचंड वायु का वेग, कष्ट पीड़ा और राजा और प्रजा में अधर्म दुख व क्लेश हो मित्रों में परस्परवैर राजाओं और मंत्रियों में फूट श्रेष्ठ स्त्रियों से भी वियोग, ग्रहण स्वाति नक्षत्र और तुला राशि पर हो रहा है इससे इस नक्षत्र एवं राशि वालों को रोग पीड़ा कष्ट आदि फल हो इस नक्षत्र राशि वालों को ग्रहण का दर्शन करना उपयुक्त नहीं है।
विविध द्वादश राशियों पर ग्रहण का शुभाशुभ प्रभाव यह है कि मेष, मिथुन, कन्या, कुंभ, सामान्य मध्यम वृषभ, सिंह, धनु, मकर, शुभ सुखद कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन नेस्ट अशुभ
ग्रहण की पौराणिक कथा : हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक, ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से है। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था। तब उस युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश को लेकर पाताल में चले गए थे. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और असुरों से वह अमृत कलश ले लिया था। इसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो स्वर्भानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
ग्रहण में सावधानियां
कुश और गंगाजल पास रखें गर्भवतियां
धर्म शास्त्रों के अनुसार, सूतक काल और ग्रहण काल में बालक, वृद्ध और रोगी को छोड़कर अन्य को भोजन नहीं करना चाहिए। इस दौरान मंदिरों के पट भी बंद रहेंगे, लेकिन भक्तगण ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ का 108 बार जाप कर सकते हैं। ग्रहण काल में गर्भवतियां अपने पास कुश और गंगा जल रखें। साफ कुश को पके हुए भोजन में डालें। इसके अलावा ग्रहण काल में लाल कपड़ा, तांबे का पात्र, गुड़, मसूर की दाल, गेंहू, लाल फल दान करना चाहिए।
– मनोज व्यास , ज्योतिष