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हैलो बीकानेर,। बीकानेर मूल के कोलकाता निवासी वरिष्ठ रंगकर्मी, टीवी अभिनेता, नाटककार अनुवादक गोपाल कलवाणी का निधन का गत ८ मार्च को को कोलकाता में हो गया। बीकानेर के इक्कीसिया गणेश मन्दिर परिसर में उनकी स्मृति में श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया गया। वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि गोपाल कलवाणी ने जीवन पर्यन्त रंगकर्म को समृद्ध किया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा अभिनीत लोकप्रिय धारावाहिक ‘गणदेवताÓ के द्वारा बीकानेर को भी मधु आचार्य ‘आशावादीÓ ने कहा कि गोपाल कलवाणी साहित्य और रंगकर्म में पहले एक्टीविस्ट थे। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के आन्दोलन को कोलकाता में भारी समर्थन मिला, इसमें कलवाणी की भूमिका अग्रणी थी, उन्होंने कहा कि वे अनुवाद के दुरूह कार्य को सहजता से करने में सिद्धहस्त थे। कवि नाटककार पत्रकार हरीश बी शर्मा ने कहा कि गोपाल कलवाणी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे।

उन्होंने रंगकर्म की लगभग सभी विधाओं को समृद्ध किया। कवि पत्रकार संजय आचार्य ‘वरुणÓ ने कहा कि रंगकर्म के प्रति गोपाल कलवाणी का समर्पण आश्चर्य चकित कर देने वाला था। वे भले ही आजीवन कोलकाता में रहे लेकिन बीकानेर का मिठास अन्तिम क्षण तक उनके व्यक्तित्व में शामिल रहा। कवि नाटककार सुनील गज्जाणी के जीवन की प्राथमिकताओं में रखा बल्कि साहित्य व रंगकर्म में युवा पीढ़ी को आगे बढ़कर प्रोत्साहित करते रहे। वरिष्ठ रंगकर्मी रामसहाय हर्ष ने कहा कि मृत्यु देह का धर्म है। मनुष्य का कृतित्व अगर श्रेष्ठ हो तो वह व्यक्ति अपने कर्म में सदैव जीवित रहता है, गोपाल कलवाणी इसी श्रेणी के व्यक्ति थे। वीरेन्द्र किराडू ने कहा कि गोपाल कलवाणी ने अपने जीवन में जो भी किया वह पूरे जुनून और ईमादारी से किया। उन्होंने कहा कि बीकानेर में उनके रचे नाटकों का मंचन होना चाहिए। कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि गोपाल कलवाणी के रचे नाटक और अनुदित साहित्य आने वाली पीढिय़ों के लिए धरोहर है इसलिए उनके अप्रकाशित साहित्य का शीघ्रता से प्रकाशन होना चाहिए। मनोहर जोशी ने कहा कि गोपाल कलवाणी का व्यक्तित्व विस्तृत एवं विराट था, वे जीवन की तमाम उपलब्धियों के बावजूद सदैव सहज रहे। पं. नथमल ओझा ने कहा कि उनके चेहरे पर सदैव मुस्कान रहती थी, जो एक बार उनसे मिल लेता था, वह हमेशा के लिए उनका हो जाता था। श्रद्धांजली सभा में नगेन्द्र किराडू, पेन्टर धर्मा, गोपालदास ओझा, गोपीकिशन ओझा, दाऊलाल ओझा, मगन ओझा, कपिल ओझा, विशाल ओझा, नरेन्द्र ओझा, गणेश ओझा, चन्द्रप्रकाश, विरेन्द्र किराडू, सुशील छंगाणी, मगन ओझा, अशोक ओझा, लालचंद आदि उपस्थित थे। प्रतीक संस्थान, गूंज कला एवं संस्कृति संस्थान, मुक्ति संस्थान के प्रतिनिधीयों ने भी कलवाणी को श्रद्धांजली अर्पित की।
पत्रकार राजेश ओझा ने गोपाल कलवाणी से जुड़े संस्मरण साझा करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। अन्त में दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत रंगकर्मी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

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