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बीकानेर । आधुनिक सुविधाओं से युक्त पांच करोड़ रूपये से भी अधिक लागत से नवनिर्मित टी.एम. आडिटोरियम के लोकार्पण के साथ 29वां राष्ट्रीय युवा संगीत समारोह शुरू हुआ। सुर संगम संस्थान और विरासत संवर्द्धन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय युवा संगीत समारोह की शुरूआत के प्रथम सत्र में मुम्बई के संजय विद्यार्थी ने देष भर से आये सुर-साधकों को संगीत के गुर सिखाये वहीं सुर को साधने का अभ्यास भी कराया। उन्होंने बताया कि यदि सा को साध लिया जाए तो सारे सुर सध जाते है। समारोह के दूसरे सत्र में जूनियर एवं सीनियर वर्ग की सुगम एवं लोक संगीत की स्पर्धाएं हुई जिसमें जयुपर, कोटा, कटनी, पाली, इंदोर, दिल्ली और बीकानेर आदि स्थानों से आये प्रतिभागियो ने अपने सुरों का सम्मोहन जगाया। समारोह का उद्घाटन भी संगीतमय अंदाज से हुआ। शंख के मंगलघोष के साथ दीप प्रज्वलन हुआ और वाग्देवी माँ शारदा की वंदना से सुरमयी स्वरांजलि का सरस कार्यक्रम शुरू हुआ। इसमें संगीत गुरू पं. पुखराज शर्मा के शिष्यों ने एक से बढ़ कर एक सुरीले गीत सुनाये। इसमें नूरजहां की आवाज से मिलती जुलती आवाज में सीमा तंवर तथा शमषाद बेगम की आवाज से मेल खाती मैना राव द्वारा गाये फिल्मी गीत को लोगों ने बहुत सराहा। इन गायिकाओं ने अपने समय की ख्यात उक्त गायिकाओं की याद ताजा करादी। बीकानेर पष्चिम के विधायक गोपाल जोशी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस उद्घाटन समारोह में पूर्व मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला, बीकानेर के महापौर नारायण चौपड़ा, यू.आई.टी. चेयरमैन महावीर रांका, सुर संगम के अध्यक्ष के.सी.मालू, विरासत संवर्द्धन संस्थान के अध्यक्ष टी.एम.लालानी, उपाध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद सहल, महामंत्री भैरव प्रसाद कत्थक, संयुक्त मंत्री सम्पत दूगड़ सहित अनेक गणमान्य एवं प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।

समारोह को सम्बोधित करते हुए डॉ.बी.डी.कल्ला ने कहा कि संगीत आत्मा को परमात्मा से मिलाने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि हमारी कला-संस्कृति ही हमारी पहचान है। अतः इसका संरक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुरसंगम और विरासत संवर्धन संस्थान दोनों मिल कर संस्कृति संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने लालानी जी के योगदान को रखांकित करते हुए कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में उन्होंने आडिटोरियम का निर्माण कर सराहनीय कार्य किया है तथा संस्कृति सेवा में अपने धन का उपयोग कर एक सच्चे अपरिग्रही का उदाहरण प्रस्तुत किया है।

महापौर नारायण चौपड़ा ने कहा कि लालानी जी के इस कार्य से बीकानेर निवासी अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं तथा उनकी यह सांस्कृतिक सौगात निष्चय ही संस्कृति संरक्षण में सहायक सिद्ध होगी। बीकानेर यू.आई.टी. चेयरमैन महावीर रांका ने कला साधना के लिए इस ओडिटोरियम को मील का पत्थर बताया और कहा कि इससे एक अच्छे ओडिटोरियम की कमी की पूर्ति हुई है। हंसराज डागा ने कहा कि संस्कृति व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ती है तथा उसके संरक्षण में सुर संगम और विरासत संवर्द्धन संस्थान दोनांे मिलकर कार्य कर रहे हैं। जिला पुलिस अधीक्षक अमनदीप सिंह कपूर ने कहा कि कला मन को निर्मल करती है और निर्मल मन से ही मोक्ष मिलता है। इस अवसर पर सुर संगम के अध्यक्ष के.सी.मालू ने कहा कि यह मात्र ओडिटोरियम नहीं अपितु कला का मन्दिर है। इससे संगीत उपासकों को संगीत साधना एवं प्रषिक्षण के उपयुक्त स्थान की कमी की पूर्ति हुई है। लालानी जी ने संस्कृति संरक्षण की जो मषाल जलाई है उसे सदैव प्रज्वलित रखने के लिए हम सभी संगीत साधक उनके साथ हैं। अंत में विरासत संवर्द्धन संस्थान के अध्यक्ष टी.एम.लालानी ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए ओडिटोरियम निर्माण की पूर्व पीठिका पर प्रकाष डाला और कहा कि राजस्थानी संगीत-नृत्य के संरक्षण-संवर्धन के उद्देष्य से इसका निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे संगीत के नये आयाम उद्घाटित होंगे और नये नये कलाकार तैयार होंगे। सुर संगम ने संगीत की जो अलख जगा रखी है वह निरन्तर युवा पीढी में संगीत के प्रति रूचि जागृत करती रहेगी तथा यह ओडिटोरियम उस चेतना को जागृत करने में सदैव सहायक रहेगा। इस अवसर पर संगीत नृत्य का रोचक कार्यक्रम हुआ जिसमें मानसी सिंह तंवर के भवाई नृत्य ने दर्षकों को चमत्कृत कर दिया। इससे पूर्व अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वगात किया गया तथा संस्कृति संरक्षक के रूप में टी.एम.लालानी को शॉल ओढा कर स्वागत किया गया। लालानी जी ने अपने पूरे परिवार को मंच पर बुलाकर संस्कृति संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम का संचालन राजपुरोहित किषोर सिंह ने किया। फोटो राजेश छंगाणी

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