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हैलो बीकानेर न्यूज नेटवर्क, www.hellobikaner.com                बेंगलुरु कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ लगाई गई ट्विटर की याचिका खारिच कर दी है। ट्विटर ने कुछ लोगों को अकाउंट, ट्वीट और URL ब्लॉक करने के केंद्र सरकार के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने केंद्र के आदेश न मानने के चलते ट्विटर पर ५० लाख का जुर्माना भी लगाया।

 

 

 

 

कोर्ट ने कहा कि ट्विटर कोई किसान नहीं है, बल्कि एक बिलियन डॉलर कंपनी है, उसे नियमों की जानकारी होनी चाहिए थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक , केंद्र सरकार ने फरवरी २०२१ से २०२२ के बीच ट्विटर को किशान आंदोलन और कोरोना वायरस से जुड़े कुछ अकाउंट्स, ट्वीट और URL  ब्लॉक करने के आदेश दिया था। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने पिछले वर्ष जुन में ट्विटर को नोटिस भेजा था कि केंद्र सरकार के आदेश न मानने पर कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

 

 

 

ट्विटर ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाईकार्ट में याचिका लगाई थी। २६ जुलाई २०२२ को जस्टिस कृष्णा सिंहा की सिंगल जज बेंच ने इस पर पहली बाद सुनवाई की। इसके बाद केद्र सरकार और ट्विटर दोनेां ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा। हाईकोर्ट ने इस साल २१ अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ३० जुन को फैसला सुनाया और ४५ दिना केअंदर जुर्माना जमा करने के लिए कहा।

 

ट्विटर ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार के पास सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिए सामान्य आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था। सरकार को इसके लिए अकाउंट ब्लॉक करने की वजह बतानी थी, जिससे कंपनी यूजर को बता सके कि उसका अकाउंट किस वजह से ब्लॉक किया गया है।

 

 

 

वहीं, सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए ट्विटर को ब्लॉक करने के आदेश दिए गए थे, जिससे लिंचिंग और मॉब वॉयलेंस की घटनाओं को रोका जा सके।

 

 

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा- ट्विटर को नोटिस दिए गए थे, लेकिन ट्विटर ने उनका पालन नहीं किया। आदेश न मानने पर 7 साल की सजा और फाइन लगाया जा सकता है। यह जानते हुए भी आदेशों का पालन नहीं किया गया। आदेश मानने में हुई देरी के पीछे की वजह भी नहीं बताई गई। इसके बाद ट्विटर अचानक कोर्ट में आ गया।

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