जानीमानी बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने सोमवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड (समान नागरिक संहिता) तुरंत लागू करने की मांग की है. मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर भी नसरीन ने यहां बेबाकी से अपनी बात रखी.तस्लीमा ने कहा कि जब मैं बौद्ध, हिंदुत्व का विरोध करती हूं तो किसी को कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन जब इस्लाम को क्रिटिसाइज करती हूं या मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करती हूं तो मुझे मारने की धमकी मिलने लगती है. मुझे मारने के लिए गैरकानूनी फतवा तक जारी कर दिया जाता है. उन्होंने बांग्लादेश में सेक्युलरिज्म पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिसने मेरे नाम फतवा दिया वो बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री का दोस्त है. ऐसे में वहां सेक्युलरिज्म कहां है? .साहित्य उत्सव में नसरीन के ऐसे बयानों से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और स्थित पर कई सवाल भी खड़े होते हैं और विवाद भी. यही नहीं तसरीन के इन बयानों पर मुस्लिम समुदाय की तरफ से विरोध तय माना जा रहा है.
जयपुर के कुछ मुस्लिम संगठनों ने तसरीन को मुस्लिम विरोधी करार दिया है तो कुछ ने इसे आगामी चुनावों के मद्देनजर सियासत बताया है.उल्लेखनीय है कि आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर नसरीन का ये बयान सियासत में नया उबाल ला सकता है. बता दें कि कानून मंत्रालय बकायदा लॉ कमिशन को चिट्ठी लिखकर देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर राय मांग चुका है.
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में हर धर्म के लोग सिर्फ समान कानून के दायरे में आ जाएंगे. इसका मतलब हुआ कि इसके तहत शादी, तलाक, प्रॉपर्टी और यहां तक कि गोद लेने जैसे मामलों में भी एक कानून काम करेगा. इसे लोगों को कानूनी मजबूती देने वाला बताया जा रहा है. वहीं संविधान के अनुच्छेद 25 और 29 में किसी भी वर्ग को अपनी धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों को मानने की पूरी आजादी है.
बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड का पक्ष लिया है. हालांकि इसे पूरी तरह डायरेक्टिव प्रिंसपल रखा गया है यानि इसे लागू करना या न करना पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है. देश में गोवा में कॉमन सिविल कोड लागू है.