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बीकानेर। वेटरनरी महाविद्यालय के अल्यूमिनाई 25 वर्षों के बाद अपने परिवार जनों के साथ सजे-धजे ऊँटों की अगुवाई में रंग-बिरंगे साफों में नृत्य करते हुए शनिवार को महाविद्यालय पहुँचे। उनके परिजनों और बच्चों ने भी ठुमके लगाए।

फोटो राजेश छंगाणी –

वेटरनरी कॉलेज के 34वें स्नातक बैच के 40 पशुचिकित्सक, वैज्ञानिक, शिक्षक और पशुचिकित्सा व्यवसायी देश के कोने-कोने से वेटरनरी ऑडिटोरियम में एकत्रित हुए। अवसर था वेटरनरी विश्वविद्यालय अल्यूमिनाइ एसोसिएशन की दो दिवसीय मीट का जिसमें वे अपने छात्र जीवन की खोई हुई स्मृतियों में खोकर अपने परिजनों के साथ इंद्रधनुषीय यादों को फिर से बांटंगे। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि वेटरनरी विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने कहा कि गत 7 वर्षों में वेटरनरी विष्वविद्यालय ने चहुँमुखी विकास कर पषुचिकित्सा षिक्षा, अनुसंधान और प्रसार कार्यों में उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं। जिसकी बदौलत राजुवास तेजी से आगे बढकर राज्य और देष में एक ब्रांड बन गया है। यहां के पूर्व छात्र आज भी देष-विदेष में पषुचिकित्सा व्यवसाय को नई ऊंचाइयां प्रदान कर रहे हैं। कुलपति प्रो. गहलोत ने कहा कि विष्वविद्यालय ने राज्य और देष की जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप विष्वविद्यालय पषुचिकित्सा षिक्षा और पषुपालन के क्षेत्र में नवाचार और कार्यक्रमों को तेजी से अपनाया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान पशुपालन और पशु उत्पादन के क्षेत्र में दुग्ध, ऊन, मीट में अव्वल बना हुआ है। राज्य में विपरीत जलवायु परिस्थितियों में भी कृषक और पशुपालक समुदाय की समृद्धि और जीविकोपार्जन में पशुपालन महत्वपूर्ण कड़ी है। इसमें पशुचिकित्सा व्यवसाय की अहम भूमिका है। वेटरनरी विष्वविद्यालय ने राज्य के कृषको और पषुपालकों के हित में चौबीसों घंटे क्लिनिकल सेवाएं, टोल-फ्री हैल्प लाइन और वेटरनरी डिप्लोमा जैसे पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। विश्वविद्यालय की वेबसाइट देश में सर्वाधिक लोकप्रिय हो रही है। समारोह के विशिष्ट अतिथि वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. जी.एस. मनोहर ने 25 वर्ष बाद की बैच मीट को अपनी परंपराओं के अनुकूल मेल-मिलाप का एक अनूठा कार्यक्रम बताया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय अल्यूमिनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. आर.के. तँवर ने कहा कि 2005 से शुरू बैच मीट के पूर्व छात्रों से महाविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने बैच के सदस्यों द्वारा घोषित पुरस्कारों के विजताओं की घोषणा भी की। अतिथियों ने स्नातक परीक्षा में प्रथम रही वैशाली पारीक को डॉ. बी.एल. बिश्नोई स्मृति गोल्ड मेडल, द्वितीय रहने वाली मनस्वि शर्मा को डॉ. ज्योत्सना ओझा द्वारा अपने श्वान की याद में दूसरा गोल्ड मेडल प्रदान किया। कॉलेज के ही 30वें बैच की ओर से स्नातक परीक्षा में तृतीय स्थान पर रही मैना कुमारी और 31वें बैच द्वारा स्नातक परीक्षा में अव्वल रही छात्रा के रूप में प्रियंका राजपुरोहित को गोल्ड मेडल प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में ही डॉ. बारहट ने 34वें बैच मीट के अवसर पर महाविद्यालय के प्रजनन एवं आनुवांषिकी विभाग में सबसे ज्याद अंक हासिल करने वाले विद्यार्थी को गोल्ड मेडल प्रदान किए जाने की घोषणा की। इस अवसर पर पूर्व छात्रों द्वारा महाविद्यालय के सभी वर्तमान और पूर्व गुरूजनों को शॉल ओढ़ाकर, श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया। कुलपति प्रो. गहलोत ने बैच मीट की प्रकाशित स्मारिका “फास्ट एण्ड फ्यूरियस“ का विमोचन किया। समारोह के प्रारम्भ में बैच मीट के अध्यक्ष प्रो. आर.के. धूड़िया ने सभी का स्वागत करते हुए दो दिवसीय कार्यक्रमों की जानकारी दी। उद्घाटन सत्र को राज्य पषुपालन विभाग की संयुक्त निदेषक डॉ. सुषमा विज और उपनिदेषक डॉ. ओ.पी. किलानियां ने भी संबोधित किया। पषुपालन विभाग, जयपुर के अतिरिक्त निदेषक डॉ. प्रदीप और डॉ. भवानी सिंह ने भी अपने संस्मरण प्रस्तुत किए। बैच मीट के प्रेसीडेन्ट डॉ. त्रिभुवन सिंह और सचिव डॉ. प्रवीण बिष्नोई ने सभी का आभार व्यक्त किया।
34वीं बैच मीट के शुभारंभ अवसर पर राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केन्द्र, ग्वालियर सीमा सुरक्षा बल के 9 श्वानों के दस्ते ने अपने हैरतअंगेज कारनामों का प्रदर्शन कर लोगों को मोहित कर दिया। बी.एस.एफ. ग्वालियर के कमान्डेन्ट डॉ. गोपेश नाग के नेतृत्व में 9 श्वानों ने अपने पालक जवानों के इशारे पर आज्ञाकारिता, सुरक्षा और क्षमता के विभिन्न प्रदर्शन किए। स्निफर प्रजाति के श्वान ने विस्फोटक और नारकोटिक्स की पहचान और अन्य प्रजाति के श्वानों ने सुरक्षात्मक उपायों की क्षमता का सफल प्रदर्शन किया।

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