भगवान कृष्ण का ख्याल आते ही आंखों के सामने उनकी मनमोहक छवि आती है। जिसमें हाथों में बांसुरी व सिर पर मोर पंख दिखाई देता है। बिना मोर पंख के आप श्रीकृष्ण की छवि की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। यह उनके श्रृंगार का अभिन्न अंग है। क्या कभी आपने जाननेे की कोशिश की भगवान कृष्ण क्यों मोर पंख को इतना पंसद करते हैं। जानिए इसकी वजह …
मोर पंख के माध्यम से भगवान कृष्ण अपने भक्तों को जीवन के सुख और दुख के बारे में बताना चाहते हैं। सभी व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख आते रहते हैं।
शेषनाग भगवान कृष्ण को सबसे प्रिय थे। लेकिन शेषनाग और मोर आपसे में दुश्मन होते है। लेकिन मोर पंख को सिर पर धारण करके भगवान कृष्ण यह बताना चाहते है कि वो सभी को समान नजरिए से देखते है। साथ ही जिसका जो स्थान होता है वह उसको प्रदान करते हैं।
मोर सम्पूर्ण संसार में एक ऐसा प्राणी है जो अपने जीवन में कभी संभोग नहीं करता है। वंश वृद्धि मोरनी मोर के आंसुओं को पीती है।
कृष्ण को मोर पंख राधा रानी और उनके प्रेम की याद दिलाता है। क्योंकि जिस समय राधा रानी नृत्य करती थी उस समय मोर भी वहां पर नृत्य करते थे। इसलिए उन्होंने मोर पंख को राधारानी की निशानी के रूप में अपने सिर पर धारण कर रखा है। इस प्रकार से उन्होंने प्रेम को भगवान से भी बढ़ कर माना है।