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बीकानेर hellobikaner.in कोरोना-काल में पूरे विश्व का रचनाकार अपनी सृजनात्मक भूमिका साहित्यिक कोरोना यौद्धा के रूप में निर्वहन कर रहा है। यही केन्द्रीय भाव प्रज्ञालय संस्थान द्वारा रविवार को आयोजित ‘कोरोना-काल : हमारा सृजन दायित्व’ विषयक विश्व स्तरीय ई-परिसंवाद में उभर कर सामने आया।

 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बैंकॉक के वरिष्ठ शायर माहिर निज़ामी ने कहा कि आज संकट के इस दौर में समाज में फैली नकारात्मकता और त्रासदी को पूरा विश्व भोग रहा है परन्तु पूरे विश्व का रचनाकार अपने सृजन दायित्व के माध्यम से इस नकानात्मकता व त्रासदी को सकारात्मक रूप देने में लगा है। उसके सामने नई घटना-प्रतिघटना, स्थिति-परिस्थिति को रेखांकित करने की चुनौती भी है।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि कोरोना-काल में मानवीय पीड़ा, सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े नए-नए कथ्य को लेकर आज पूरे विश्व का रचनाकार कोरोना-यौद्धा के रूप में साहित्य-सृजन कर रहा है और मानवीय संवेदनाओं को स्वर दे रहा है। इस दौर में हम ई-तकनीक के माध्यम से पूरे विश्व के रचनाकारों से जुड़ सके और एक-दूसरे की रचना को सुनने-समझने का भी हमें अवसर मिला।

 

ई-परिसंवाद के विशिष्ट अतिथि मॉस्को-रूस के शिक्षाविद्-साहित्यकार इलिया ओस्टोपेनको ने कहा कि आज हमें ई-तकनीक के माध्यम से नई पीढ़ी में ज्यादा से ज्यादा साहित्य के प्रति अभिरूचि पैदा करनी चाहिए। इस दौर में नकारात्मकता हम पर हावी है। हमें इससे हर स्तर पर लडऩा होगा और अपने सृजन को समाज हित में रचना होगा। परिसंवाद के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ आलोचक डॉ. मदन सैनी ने कहा कि पूरे विश्व के सृजनधर्मियों ने एक नए सोच के साथ अपने दायित्व का निर्वहन किया है जबकि कोरोना-काल में विडम्बनाओं और महामारी की भयावह स्थिति में भी रचनाकारों ने आज के यथार्थ और मानवीय पीड़ा को शब्दों में पिरोया है। इस कालखण्ड में रचा गया साहित्य एक दस्तावेज बन जाएगा।

 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि कोरोना-काल में सृजन करने के नए अवसर मिले, नए विषय सामने आए और ई-तकनीक के माध्यम से हमारी पठन-पाठन की रूचि में भी वृद्धि हुई। ई-परिसंवाद में सोजत सिटी से वरिष्ठ बाल साहित्यकार अब्दुल समद राही ने कहा कि कोरोना-काल की त्रासदी में हर रचनाकार और अधिक संवेदनशील होकर आज के हालातों को अपनी रचनाओं के माध्यम से आम पाठक तक पहुंचा रहा है।

 

ई-परिसंवाद में डॉ. नृसिंह बिनानी, नेपाल की वरिष्ठ साहित्यकार सरिता पंथी, इन्दौर से नरेन्द्र आचार्य, मलेशिया की वरिष्ठ साहित्यकार गुरिन्दर गिल, नई दिल्ली की वरिष्ठ साहित्यकार विजयलक्ष्मी ‘विजया’ सहभागी थे।

 

कार्यक्रम के तकनीकी संयोजक एवं दतिया-मध्यप्रदेश के वरिष्ठ शायर दिलशेर ‘दिल’ ने कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से पूरे विश्व के रचनाकारों से संवाद करने का अवसर मिला, जो प्रशंसा योग्य है। अंत में उन्होंने सभी का आभार जताया।

 

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