हिन्दी मातृभाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति की भी प्रतीक है : शर्मा
हैलो बीकानेर न्यूज़ नेटवर्क, www.hellobikaner.com, बीकानेर। ‘‘हिन्दी पखवाड़ा’’ कार्यक्रम के अन्तर्गत बेसिक पी.जी. महाविद्यालय में ‘‘हिन्दी दिवस समारोह’’ का आयोजन किया गया। समारोह के दौरान मुख्य अतिथि सीए सुधीश शर्मा, विशिष्ट अतिथि हरीश बी. शर्मा, महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित उपस्थित रहे।
माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ समारोह का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ मंे महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों को हिन्दी दिवस की महत्ता के बारे में बताया। वर्तमान में हिंदी की वैश्विक रूप से मजबूत होती स्थिति पर खुशी जाहिर हुए डॉ. पुरोहित ने कहा कि आज हिंदी बाजार की आवश्यकता बन चुकी है।
डॉ. पुरोहित ने यह भी बताया कि ‘‘हिन्दी पखवाड़ा’’ के अन्तर्गत महाविद्यालय द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन रखा गया है, जिसमें सीनियर सैकण्डरी विद्यालय स्तर के लगभग 400 से अधिक विद्यार्थियों ने निबन्ध प्रतियोगिता में भाग लिया। इसी प्रकार भाषण एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी महाविद्यालय स्तर के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इन सभी प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र से पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि हरीश बी. शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए ताकि उच्च शिक्षा अपनी भाषा में मिलने में आसानी हो सके। उनका कहना था कि हिंदी के बिना हिंदुस्तान में आगे बढना संभव नहीं है लेकिन हिंदी ज्ञान परस्पर सहभागिता से सभंव किया जाना चाहिए। श्री शर्मा ने बताया कि भारत की सभी भाषाएं समृद्ध हैं।
उनका अपना साहित्य, शब्दावली तथा अभिव्यक्तियां एवं मुहावरे हैं। भले ही हमारी भाषाएं अलग-अलग हों, इन्हें बोलने वाले लोग देश के अलग-अलग भागों में रहते हों, पर ये सभी भाषाएँ भावनात्मक रूप से हमारी साझी धरोहर हैं। इससे हमारी राष्ट्रीय एकता और मजबूत होगी तथा भारत की विविध संस्कृति को बेहतर रूप में अभिव्यक्त किया जा सकेगा। हिंदी को केवल बोलचाल के स्तर पर ही संपर्क भाषा नहीं बनना है, बल्कि कला और साहित्य के स्तर पर भी यह दायित्व निभाना है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीए सुधीश शर्मा ने कहा कि हिन्दी भाषा अनंत काल से मानवीय अस्मिता का महत्वपूर्ण अंग रही है और यह अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी है। हिंदी दिवस की उपयोगिता पर सुधीश शर्मा जी का कहना था कि आज का दिन इस बात का मूल्यांकन करने का है कि देश-विदेश में हिंदी भाषा, सहित्य ने कौन सी मंजिलें तय की हैं और आज का दिन यह विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूँ कि प्रादेशिक भाषाएं रानी बनकर प्रान्तों में विराजमान रहें एवं इनके बीच हिंदी मध्यमणि बनकर विराजती रहे। उनका कहना था कि सरकार और जनता के बीच वही भाषा प्रभावी एवं लोकप्रिय हो सकती है जो आसानी से सभी को समझ में आ जाए और बेझिझक जिसका प्रयोग देश के सभी वर्गों द्वारा आसानी से किया जा सके। हिंदी मातृभाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति की भी प्रतीक है। हमारा लोकतंत्र तभी फल-फूल सकता है जब हम जन-जन तक उनकी ही भाषा में उनके हित की बात पहुंचाएं क्योंकि हमारे लोकतन्त्र का मूलमंत्र ‘सर्वजन हिताय’ है।
कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी व उससे संबंधित संसाधनों के विकास, प्रयोग तथा प्रचार-प्रसार की दिशा में विभिन्न स्तरों पर प्रयास निरंतर जारी है। हिंदी और अन्य अभी भारतीय भाषाओं के संवर्धन के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। व्यास ने बताया कि विगत कुछ समय से हिंदी के अनेक ई-टूल्स विकसित किए गए हैं। जिनसे कम्प्यूटर और प्रौद्योगिकी में हिंदी का प्रयोग सरल और व्यापक हुआ है, अब यह हम सभी लोगों का उत्तरदायित्व है कि हम इन सुविधाओं के प्रति जागरूक बनें और अपने सरकारी और गैर-सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग करें। आज जरूरत इस बात की है कि व्यावहारिक व प्रचलित सरल हिंदी का सरकारी कामकाज में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किया जाए।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबन्धन समिति द्वारा राजकीय एवं अराजकीय महाविद्यालयों एवं विद्यालयों के 20 से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को हिन्दी भाषा अलंकार से सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा अतिथियों को शॉल एवं प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित करते हुए आभार प्रकट किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ. मुकेश ओझा, डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. रोशनी शर्मा, वासुदेव पंवार, माधुरी पुरोहित, प्रभा बिस्सा, सौरभ महात्मा, विकास उपाध्याय, अंतिमा शर्मा, प्रियंका आचार्य, अजय स्वामी, शालिनी आचार्य, प्रेमलता व्यास, जया व्यास, डॉ. नमामिशंकर आचार्य, हितेश पुरोहित, पंकज पाण्डे, गुमानाराम जाखड़, दीपिका जांगिड़, खुशबू शर्मा, कृष्णा व्यास, शिवशंकर उपाध्याय, राजीव पुरोहित आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।