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बीकानेर hellobikaner.in  भगवान नृसिंह के अवतार की कहानी तो सब जानते ही है। भारत के राज्यों में नृसिंह चतुर्दशी के दिन मेला भरा जाता है लेकिन राजस्थान के बीकानेर शहर में नृसिंह चतुर्दशी दिन भरे जाने वाले मेले की चर्चा पूरे भारत में होती है।

 

जबदस्त गर्मी के बीच भरा जाने वाले इस मेले में भगवान नृसिंह व हिरण्यकश्यप का रूप धारण करना बड़ा मुश्किल है। हिरण्यकश्यप के लिए काले वस्त्र, हाथ में कोडा, डरावना मुखौटा, मुखौटे पर दो सिंग और भयभीत करने वाली आवाज की गूंज शहर में हर साल एक दिन रहती है। यह अवसर होता है नृसिंह चतुर्दशी का। सुबह से शाम तक हर गली-मौहल्ले में घूम-घूम कर हिरण्यकश्यप शहरवासियों को भयभीत करता है।

 

 

इस दौरान गली-मौहल्ले हिरणा-किसना गोविन्दा प्रहलाद भजै के स्वरों से गूंजते रहते है। बच्चे व युवा हिरण्यकश्यप का स्वरुप धारण कर एक गली से दूसरी गली व मौहल्लों में पहुंचते रहते है। इनके पीछे बच्चों व युवाओं की टोलिया रहती है। इस दौरान हिरण्यकश्यप स्वरुप धारण किया बच्चा अथवा युवा अपने हाथ में लिए कोड़ो का वार भी करता रहता है। लोग हिरण्यकश्यप के कोड़ो की मार हंसते-हंसते सहन करते है। कोड़े को अपने मस्तिस्क पर आदर के साथ लगाकर नमन भी करते है।

 

नृसिंह चतुर्दशी के दिन शहर में डागा चौक, लालाणी व्यास चौक, मानावतों का चौक, लखोटिया चौक, दुजारी गली और नत्थूसर गेट के बाहर नृसिंह मंदिरों के आगे नृसिंह चतुर्दशी के मेले भरते है। नृसिंह-हिरण्यकश्यप लीलाओं के मंचन होते है। हजारो शहरवासी इस दौरान मौजूद रहते है। इससे पहले दिन में नृसिंह मंदिरों में अभिषेक, पूजन, श्रृंगार, महाआरती और प्रसाद वितरण के कार्यक्रम होते है।

बीकानेर में कोरोनाकाल के दौरान कुछ यूँ मनाया गया था नृसिंह मेला ….

 

कोलकाता में भी मनाया जाता है नृसिंह मेला….

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