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बीकानेर hellobikaner.in  ‘संयुक्त परिवार में 22 में से 19 सदस्य कोरोना पाॅजिटिव रिपोर्ट हुए। परिवार का सबसे छोटा 4 महीने का बच्चा और सबसे बड़े 66 साल के बुजुर्ग भी इनमें शामिल थे। ऐसे लगा कोविड की क्रूर दृष्टि हमारे परिवार पर थी। फिर पिताजी की तबीयत बिगड़ने लगी। उन्हें लेकर देर रात ढाई बजे कोविड हाॅस्पिटल पहुंचे। पूरा परिवार डर के साये में था, लेकिन वहां बेहतरीन इलाज मिला। अब उनका स्वास्थ्य पहले से बेहतर है।’

डागा चौक में रहने वाले हेमंत रंगा ने कोरोना काल की कुछ ऐसी यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि अगस्त का महीना उनके परिवार के लिए बेहद बुरा रहा। पिता के तीन भाईयों के परिवार के 22 में से 19 सदस्य तीन चरणों में कोरोना पाॅजिटिव होते रहे। परिवार के सबसे छोटे चार महीने के बच्चे को भी कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया। पिता, चाचा सहित घर की महिलाएं भी इससे अछूती नहीं रहीं। इस दौरान पिता भंवर लाल रंगा की हालत बिगड़ने लगी।

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उस रात, लगभग डेढ़ बजे उनकी खांसी रुक नहीं रही थी। आॅक्सीजन लेवल गिरकर 76 तक पहुंच गया। इसने हम सबके मन में डर पैदा कर दिया। रात को लगभग दो बजे पीबीएम अस्पताल के परिचित डाॅक्टर को फोन किया। दूसरी रिंग में फोन अटेंड हुआ और उस डाॅक्टर की सलाह पर रात ढाई बजे पिता को लेकर कोविड अस्पताल पहुंचे। वह दौर कोरोना का पीक दौर था। इसके बावजूद वहां बेहतर इलाज मिला।

चाचा नारायण दास रंगा भी अपने बड़े भाई के अटेंडेंट के तौर पर अस्पताल में रहे। उन्होंने कहा, वहां डाॅक्टर दिन में चार बार देखने आते। नर्सिंगकर्मी भी नियमित रूप से संभालते। बड़े भाई भंवरलाल रंगा पिछले बीस वर्षों से शूगर से पीड़ित होने के कारण चिंता भी गहरी थी, लेकिन वहां की बेहतरीन व्यवस्थाओं की बदौलत सबकुछ ठीक हो गया। उनके तीसरे दिन प्लाज्मा भी चढ़ाया गया। इसकी त्वरित व्यवस्था भी अस्पताल प्रशासन द्वारा ही की गई। उनके परिवार के तीनों सदस्यों ने जिला प्रशासन और अस्पताल की व्यवस्थाओं की सराहना की और इनके प्रति आभार जताया।

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