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चूरू, जगदीश सोनी, hellobikaner.in  जिले के सबसे बड़े राजकीय डीबी अस्पताल की बहुत बड़ी लापरवाही का सामने आई। शुक्रवार को अचानक एमसीएच विंग में ऑक्सीजन की सप्लाई की व्यवस्था गड़बड़ा गई। ऐसे में एफबीएनसी वार्ड में भर्ती आठ बच्चों की जान सांसत में आ गई। सप्लाई गड़बड़ होने की जानकारी लगने पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगाकर सप्लाई को दुबारा से शुरू किया गया। लेकिन कुछ देर ओर हो जाती तो मासूमों की जान को खतरा हो सकता था।

जानकारी के मुताबिक एमसीएच विंग में ऑक्सीजन प्लांट की देखरेख का काम निजी कंपनी के कर्मियों को सौंपा हुआ था। जिनकी टेंडर अवधि दो जुलाई को समाप्त हो गई थी, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर उन्हें रखा हुआ था। लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से गुरुवार शाम को आने से मना कर दिया। ऐसे में प्लांट से एमसीएच विंग में सप्लाई होने वाले सिंलेडरों की ऑक्सीजन शुक्रवार सुबह खत्म हो गई। ऑक्सीजन का लेवल बहुत कम होने से प्लांट पर लगा हुआ सायरन अचानक से बजने लगा। इससे अस्पताल प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई। ऑक्सीजन सप्लाई गड़बड़ाने के दौरान एफबीएनसी में करीब आठ बच्चे ऑक्सीजन पर थे। सूत्रों की माने तो ऑक्सीजन का लेवल कम होने से दो जुड़वा बच्चों की तबीयत भी बिगड़ गई।

 

इधर, ऑक्सीजन की सप्लाई गड़बड़ाने की बात एफबीएनसी कर्मियों को पता चलने पर एक बारगी उनके हाथ-पैर फूल गए। आनन-फानन में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगाकर सप्लाई को शुरू किया गया। जिससे बच्चों की जान बच गई। बाद में अस्पताल प्रशासन की ओर से अनुबंध खत्म होने पर हटाए गए कार्मिकों को बुलाकर सप्लाई व्यवस्था को शुरू किया गया। जानकारों के मुताबिक एमसीएच विंग में प्रतिदिन छह से सात सिलेंडरों की आवश्यकता रहती है। मामले को लेकर एफबीएनसी में कार्यरत डॉ. संदीप कुछ कहने से बचते रहे। ऑक्सीजन की सप्लाई करीब 15 मिनट तक बाधित रही।

पहले भी हो चुकी है तकनीकी खराबी
जानकारी के मुताबिक भरतिया अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट में कोरोना संक्रमण के दौर में भी तकनीकी खराबी आ चुकी थी। जिला कलक्टर के हस्तक्षेप के बाद कंपनी के प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे थे। उस समय प्लांट ज्यादा समय तक बंद नहीं रहा था। लेकिन व्यवस्था ऐसी की हुई थी कि प्लांट खराब भी हो जाए तो ऑक्सीजन सप्लाई में किसी तरह की परेशानी ना हो। इस व्यवस्था को सबलेट किया हुआ था। जिसके कारण बड़ी परेशानी से बच गए थे। दस मिनट के अंतराल में ही कंपनी के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर प्लांट को ठीक कर सुचारू कर दिया था।

इनका कहना है…
प्लांट की रख-रखाव के लिए कंपनी को ठेका दिया गया था, जिसकी अवधि दो जुलाई को समाप्त हो चुकी है। कंपनी के कार्मिकों की ओर से गड़बड़ी की जा रही थी।अनुबंध समाप्त होने के बाद कंपनी के कार्मिकों ने ऑक्सीजन के पाइंट कहां है।इसके बारे में नहीं बताकर परेशान किया जा रहा है।अगर उन्होंने ऐसी हरकत की है तो इसकी जांच करवा ली जाएगी।ऐसा हो सकता है कि ऑक्सीजन प्लांट फेल हो जाए, लेकिन व्यवस्था के लिए हमने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध करा रखे हैं। – डॉ. एफएच गौरी, पीएमओ राजकीय डीबी अस्पताल, चूरू।

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