जयपुर hellobikaner.in राज्य विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान विधियां (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2021 ध्वनिमत से पारित कर दिया हैै। इससे नगरीय क्षेत्रों में पुरानी आबादी एवं गैर कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज लोगों को फ्री होल्ड पट्टा मिल सकेगा।
स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में प्रदेश में ऎसे कई लोग हैं जो नगरीय क्षेत्रों में पुरानी आबादी एवं गैर-कृषि भूमि पर अधिकार के साथ काबिज है किन्तु उनके पास उसका पट्टा नहीं है। ऎसे सभी व्यक्तियों को उस भूमि पर अपने अधिकार समर्पित करने पर फ्री होल्ड पट्टा देने का प्रावधान करने के उद्देश्य से यह बिल लाया गया है। यह प्रोविजन नगरपालिका एक्ट की धारा 69-ए में पहले से ही है। उसमें कुछ सुधार कर प्राधिकरणों व नगर सुधार न्यास एक्ट में संशोधन कर रहे है। 69-ए में लीज होल्ड को फ्री होल्ड किया जा रहा है।
धारीवाल ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के पास अन्य कानून के अधीन जारी कोई पट्टा है या आदेश है जिसमें भूमि आवंटित हुई है तो उसे भी उस भूमि पर अपने अधिकार समर्पित करने के बाद फ्री होल्ड पट्टा देने का प्रावधान किया गया है। इसके कारण वह लेंड होल्डर उन लाभों का उपयोग कर पायेगा जो एक फ्री लेंड होल्डर के होते हैं। इस दृष्टि से जयपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर विकास प्राधिकरण एवं अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और नगर पालिका एक्ट में संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं। इन संशोधनों के बाद अफोर्डेबल आवासों की कमी पूरी हो सकेगी।
उन्होंने बताया कि इसके साथ- साथ यूआईटी एक्ट की धारा 43 को बदल कर यह प्रावधान किया गया है कि भू-राजस्व अधिनियम, 1956 में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी धारा 103 में वर्णित समस्त भूमियां, जैसे सड़कें, रास्ते आदि सार्वजनिक उपयोग की भूमियां, गोचर, श्मशान, कब्रिस्तान आदि सामुदायिक उपयोग की भूमियां, टिनेंसी एक्ट की धारा (5) (24) में परिभाषित भूमियां यूआईटी में समाहित मानी जाएगी। इसके लिये राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने की जरूरत अब नहीं होगी। परन्तु धारा 103(ए)(2) में वर्णित अवाप्त भूमि यूआईटी में समाहित नहीं होगी। उन्होंने बताया कि धारा 102(ए) में वर्णित नजूल भूमि पहले से ही लोकल ऑथोरिटीज के डिस्पोजल पर है। इसी तरह का प्रावधान नगरपालिका एक्ट में नई धारा 68-ए जोड़कर किया गया है। इन प्रावधानों का लेंड रेवेन्यू एक्ट के ऊपर ओवर राइडिंग इफेक्ट होगा जैसा कि प्राधिकरणों के तीनों कानूनों में है। जयपुर विकास प्राधिकरण, जोधपुर विकास प्राधिकरण और अजमेर विकास प्राधिकरण के एक्ट में यह प्रावधान पहले से है।
स्वायत्त शासन मंत्री ने बताया कि म्यूनिसिपेलिटी एक्ट 2009 की धारा 194 (7)(क) में अभी तक यह प्रावधान है कि 250 वर्गमीटर तक भूखण्ड पर निर्माण के लिए लिखित अनुमति की आवश्यकता नहीं है केवल आवेदन मय दस्तावेज और निर्धारित शुल्क जमा कराकर निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है। इससे आम जनता को निर्माण कार्य में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए यह प्रावधान किया गया है। बिल्डिंग बाईलॉज में यह निर्धारित कर दिया जाएगा की कितने एरिया पर निर्माण के लिए लिखित परमिशन की जरूरत नहीं है उतने एरिया पर बिल्डिंग बाईलॉज में उल्लेखित दस्तावेज व शुल्क जमा कराकर निर्माण कराया जा सकता है। उससे अधिक एरिया होने पर लिखित परमिशन लेनी होगी।
उन्होंने बताया कि चारदीवारी क्षेत्र, हैरिटेज एवं प्रतिबंधित क्षेत्र के बाईलॉज एवं नियम अलग से बने हुए है। वहां पर वही नियम लागू होंगे।
धारीवाल ने बताया कि जयपुर विकास प्राधिकरण एवं जोधपुर विकास प्राधिकरणों के एक्ट में उनके रिकॉर्ड मंगाने का अधिकार तथा उनके द्वारा लिये गए निर्णयों की वैधता जांचने का अधिकार और उसके निर्णयों को खारिज, संशोधित या पलटने का अधिकार राज्य सरकार के पास पहले से ही है किन्तु अजमेर विकास प्राधिकरण एक्ट में यह प्रावधान नहीं है। अब अजमेर विकास प्राधिकरण एक्ट में नई धारा 89-ए जोड़कर वैसा ही प्रावधान करके राज्य सरकार को उसका रिकॉर्ड कॉल करने की शक्ति प्रदान की गयी है।
स्वायत्त शासन मंत्री ने बताया कि नगरीय क्षेत्र में हाई कोर्ट के निर्णयों की पूरी पालना करते हुए कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने मास्टर प्लान में सेक्टर प्लान एवं जॉनल प्लान बनाकर कार्यवाही की जा सकती है। धारीवाल ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए नगर मित्र नियुक्त किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए विज्ञापन जारी किया गया है। योग्यताएं तय की गई हैं। सेवा के लिए फीस निर्धारित की जाएगी। उन्हें हटाने का भी प्रावधान किया गया है।
इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए प्रचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।