एस.पी.मित्तल
तो क्या अब 9 अगस्त को भारत बंद नहीं होगा? बिना जांच के ही सामान्य वर्ग के लोगों को जेल भेजने के लिए मोदी सरकार तैयार। एससी एसटी वर्ग का कोई व्यक्ति यदि सामान्य वर्ग के किसी व्यक्ति के विरुद्ध शिकायत देता है तो पुलिस को बिना जांच के ही एफआईआर दर्ज करनी पड़ेगी तथा एफआईआर दर्ज होते ही गिरफ्तार भी करना पड़ेगा। सामान्य वर्ग के आरोपी को अदालत से अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी।
गिरफ्तारी के बाद अदालत से जमानत भी मुश्किल है। एससी एसटी कानून के इस प्रस्ताव को एक अगस्त को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है तथा अब संसद के मौजूदा मानसून सत्र में ही संशोधित बिल लाकर कानून बना दिया जाएगा। संसद में जब यह प्रस्ताव आएगा, तब कांग्रेस, भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों के सामान्य वर्ग के सांसद भी इसका समर्थन करेंगे, क्योंकि यदि समर्थन नहीं किया तो चुनाव में हार जाएंगे। हो सकता है कि संबंधित राजनीतिक उम्मीदवार ही नहीं बनाए।
इसे लोकतंत्र में राजनीति की मजबूरी ही कहा जाएगा कि सामान्य वर्ग के सांसद को अपने ही खिलाफ वाले प्रस्ताव को मंजूर करवाना पड़ेगा। मोदी सरकार को यह कवायद इसलिए करनी पड़ी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बिना जांच के गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी पलटा जा रहा है। सरकार के सभी मंत्रियों का कहना है कि एससी एसटी एक्ट में कोई बदलाव हो ही नहीं सकता। शिकायत मिलते ही पुलिस को सामान्य वर्ग के आरोपी को गिरफ्तार करना ही पड़ेगा।
बंद का क्या होगा?
इसमें कोई दो राय नहीं कि एससी एसटी वर्ग के लोगों के हित में मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। इसलिए अब सवाल है कि क्या 9 अगस्त को दलित संगठनों के आव्हान पर भारत बंद होगा? दलित संगठनों ने धमकी दी थी कि यदि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं पलटा तो 2 अप्रैल वाले बंद में हुई हिंसा से भी ज्यादा हिंसा 9 अगस्त को होगी। दलित संगठन चाहते है कि 9 अगस्त से पहले संसद में बिल प्रस्तुत कर दिया जाए, इसलिए अभी तक बंद का आव्हान वापस नहीं लिया गया है।