डॉ. कल्ला ने स्थानीय जरूरतों, तकनीकी पहुलओं और बीकानेर में आने वाले वाले समय में रेलवे के विस्तार की दूरगामी जरूरतों की ओर महाप्रबंधक और रेलवे के अन्य अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में रेलवे लाइन के दोनों ओर घना आबादी क्षेत्र और मार्केट होने के कारण यहां भविष्य में डबल लाईन का निर्माण और विद्युतीकरण करते हुए आधुनिकीकरण भी सम्भव नहीं है। उन्होंने बैठक में बीकानेर बाईपास रेल लाइन का नक्शा भी अधिकारियों को सुपर्द किया।
जलदाय और ऊर्जा मंत्री ने बैठक में रेलवे के अधिकारियों से बीकानेर में रेलवे बाईपास के साथ ही रतलाम-डूंगरपुर रेल लाईन परियोजना, मेड़ता एवं पुष्कर के बीच रेल चलाने तथा टोंक को रेलवे लाईन से जोड़ने के सम्बंध में भी चर्चा की। इस बैठक में इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस के अधिकारी (रिटायर्ड) डॉ. किशनलाल मेघवाल, उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य परिचालन प्रबंधक रविन्द्र गोयल एवं निर्माण विभाग के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर सी. एल. मीना भी मौजूद रहे।
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डॉ. कल्ला ने बैठक में बताया कि बीकानेर-लालगढ़ रेल लाइन पर बने चार फाटकों में से दो पर रोड़ ओवर ब्रिज बनाये गये हैं जबकि कोटगेट क्षेत्र में स्टेशन के पास दो अन्य रेलवे फाटक (फाटक संख्या 140 एवं 141) स्थित है, जो दिन में करीब 50 बार बंद होते है। इससे बीकानेर शहर का सम्पर्क कई बार बाहरी क्षेत्र से कटा रहता है। लोगों का आना-जाना दूभर हो जाता है, साथ ही लम्बे समय तक जाम लगा रहता है, जो यहां के जनजीवन को रोजाना प्रभावित करता है।
जलदाय और ऊर्जा मंत्री ने कहा कि बीकानेर एवं लालगढ़ रेलवे स्टेशनों के बीच यह एक ही रेलवे लाइन है, जो चारो तरफ से शहर की आवासीय कॉलोनियों एवं व्यस्ततम भीड़भाड़ वाले बाजार से घिरी है। उन्होंने कहा कि कोटगेट क्षेत्र में सिंगल रेलवे लाईन के आस-पास लोगों के घर बने हुए है, जब भी ट्रेनें यहां से गुजरती है, तो इन घरों में कम्पन्न होता है। इस कारण ये घर गिर सकते है और हादसा भी हो सकता है। इस बारे में रेल यूजर्स द्वारा कई बार जन प्रतिनिधियों से आग्रह किया जा चुका है। जनप्रतिनिधियों ने भी इस बारे में समय-समय पर मण्डल रेल प्रबंधक, बीकानेर को जानकारी दी है।
डॉ. कल्ला ने उत्तर पश्चिम रेलवे के अधिकारियों को बताया कि बीकानेर के लोगों की इस समस्या को दूर करने के लिए ‘‘बीकानेर बाई पास रेल लाइन‘‘ की स्वीकृति रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2003-2004 में ही दे दी थी। इसके बाद राज्य सरकार के आग्रह पर उत्तर पश्चिम रेलवे द्वारा एक सर्वे किया, लेकिन राजस्थान सरकार एवं रेलवे मंत्रालय के बीच में एमओयू नहीं होने के कारण वर्ष 2009-2010 में रेल मंत्रालय द्वारा यह कार्य निरस्त कर दिया गया। इस निर्णय का एक कारण बीकानेर व लालगढ़ स्टेशन के बीच भविष्य में रेल गाड़ियों के कम आवागमन होने का बताया गया। लेकिन ब्राडगेज लाइन आने के बाद यात्री गाड़ियों की संख्या पहले से काफी बढ़ गई है, कोटगेट क्षेत्र के इन दो रेलवे फाटकों से औसतन प्रति घण्टा एक से दो ट्रेन गुजरती है। इससे इन दो फाटकों के अधिक समय तक बंद रहने के कारण बीकानेर शहरवासियों को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है।