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बीकानेर hellobikaner.in  शिवशक्ति के उपासक व समाजसेवी स्व. अम्बालाल आचार्य की स्मृति में आचार्यों की बगेची में पंछियों के लिए आश्रय स्थल व गायों के लिए पीने के पानी की खेळी का लोकार्पण हुआ।

 

शिवबाड़ी स्थित लालेश्वर महादेव मंदिर मठ के अधिष्ठाता विमर्शानंदगिरिजी महाराज, पंडित जुगलकिशोर ओझा ‘पुजारी बाबाÓ, समाजसेवी व पूर्व सरपंच रामकिसन आचार्य, ब्रह्मदत्त आचार्य, डॉ. गुंजन सोनी ने किया। इस अवसर पर एडवोकेट ओम आचार्य, वरिष्ठ शिक्षाविद् विद्यासागर आचार्य, नरोत्तम व्यास, ज्योतिर्विद पंडित हरिनारायण व्यास ‘मन्नासाÓ, डॉ. नरेंद्र डारा, डॉ.विजय कच्छावा, भाजपा नेता विजय मोहन जोशी, कर्मचारी नेता भंवर पुरोहित, साहित्यकार राजेंद्र जोशी, विजयनृसिंहम व्यास, नगेंद्र नारायण किराड़ू, पूर्व सरपंच कैलाशीदेवी, शिक्षाविद डॉ. चेतना आचार्य, सत्यप्रकाश आचार्य, विजय आचार्य, भवानी शंकर आचार्य, महेश आचार्य, मक्खन आचार्य, डाक्टर श्यामा, डॉक्टर सीमा, डॉक्टर पुरुषोत्तम सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।

प्रारंभ में विधि-विधान से धीरेंद्र आचार्य व सरस्वती आचार्य ने पूजा-अर्चना करके पंछियों व मवेशियों के लिए बनाए गए आश्रय स्थल को लोकहित में अर्पित करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर विमर्शानंद महाराज ने कहा कि पुण्य का कार्य करने वाले बिरले ही होते हैं, लेकिन निरंतर निर्वहन करना भी बड़ा संकल्प है। जिस तरह अंबालाल जी प्रतिदिन इस बगेची में ध्यान, पूजन व सेवा के लिए आते थे, उसी तरह उनके परिजनों से भी यह अपेक्षा रहेगी कि इस आश्रय-स्थल की देख-रेख करते रहें।

पंडित जुगलकिशोर आचार्य ‘पुजारीबाबाÓ ने कहा कि आज के समय में जब लोग दान करते हुए भी यह सोचते हैं कि उन्हे मिलेगा क्या, ऐसे में धीरेंद्र आचार्य ने अपने पिता की स्मृति में पशु-पक्षियों के लिए पुनीत कार्य किया है। उन्होंने अंबालाल जी के साथ अपने संस्मरण साझा किये।

पूर्व सरपंच व समाजसेवी रामकिशन आचार्य ने कहा कि आज लोगों को तो अपने लिए सुख-सुविधावाले घर चाहिये, लेकिन निरीह प्राणियो के लिए सोचने वाला कौन है। अगर किसी में इस तरह के भाव है तो यही मानवता है। इस तरह के कार्य शहर में जगह-जगह होने चाहिए।

आचार्य बगेची ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रह्मदत्त आचार्य ने कहा कि वास्तविक लोकहित का यही कार्य है। एक ऐसा कार्य जिसमें जिसका फायदा हो रहा है, उसे यह भी नहीं पता कि उसे किसकी वजह से फायदा मिला है। बेजुबान परिदों के लिए सोचन मानव-मात्र का धर्म है।

इस अवसर विमर्शानंद जी, पंडित जुगलकिशोर आचार्य ‘पुजारीबाबाÓ, रमाकिशन आचार्य, ब्रह्मदत्त आचार्य का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में आए हुए लोगों के प्रति वरिष्ठ रंगकर्मी, पत्रकार व साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादीÓ ने आभार स्वीकार किया।

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