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श्रीगंगानगर hellobikaner.in यूं तो कोरोना जैसी गंभीर बीमारी सभी लोगों के लिये किसी ना किसी रूप में परेशानी का सबब बनी। इस काल में भी मीडिया का रोल बेहद महत्वपूर्ण रहा। डाॅक्टर्स व सफाई कर्मियों की तरह ही सभी पत्रकारों ने लाॅकडाउन जैसी विषम परिस्थिति में कंधे से कंधा मिलाकर रिर्पोटिंग की और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन बखूबी किया।

न्यूज इंडिया के रिपोर्टर राकेश मितवा लाॅकडाउन के पहले दिन से ही श्रीगंगानगर जिले में अपना कार्य कर रहे थे। इनकी पत्नी ममता शर्मा राजकीय सरकारी विद्धालय में अध्यापक है। वे भी जिम्मेदारीपूर्वक अपना कार्य कर ही थी। मास्क व सेनेटाईजर तथा सोशल डिस्टेंसिंग के बावजूद एक दिन राकेश मितवा को सर्दी, जुकाम की समस्या हो ही गई। अगले ही दिन उनकी पत्नी ममता शर्मा को भी बुखार, खांसी व थकान महसूस हुई। एक जिम्मेदार नागरिक की तरह राकेश मितवा ने जिला अस्पताल से सम्पर्क किया व कोविड केयर सेन्टर में ड्यूटी दे रहे डाॅक्टर पवन सैनी को अपनी समस्या बताई। उनकी सलाह के अनुरूप दोनों पति पत्नी ने कोरोना का टेस्ट करवाया व तुरन्त स्वयं को क्वारेंटीन कर लिया।

 

समस्या यह थी कि इनके घर में 12वीं में पढ़ने वाली पुत्री भी साथ ही रहती है, जिसे बचाना नितान्त आवश्यक था। दोनों पति-पत्नी ने स्वयं को एक कमरे में बंद रखा व एक ही घर में रहते हुए भी अपनी पुत्री से दूरी बनाई। उनकी पुत्री प्रतिदिन कमरे के बाहर खाना रख देती थी। डाॅक्टर पवन कुमार सैनी ने प्रतिदिन फोन पर मार्गदर्शन दिया व राजकीय अस्पताल से दवाईयां उपलब्ध कराईं। कोरोना से संबंधित बुकलेट व दवाईयां समय-समय पर उनके घर पहुंचाई गई व मेडिकल टीम ने भी उनका परीक्षण समय-समय पर किया।

मैंने दोनों पति-पत्नी से बातचीत की व उनका अनुभव जाना। कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से जूझने में जिला अस्पताल के सहयोग के साथ-साथ अच्छी सोच और सकारात्मक वातावरण ने महत्वपूर्ण रोल निभाया। दोनों पति-पत्नी ने बताया कि पिछले 25 वर्षों में एक साथ रहने का सुअवसर कम ही मिला था, क्वारेंटीन के 14 दिन उनकी जिन्दगी में बेहद अच्छे रहे व बिना तनाव के यह समय हंसते-खेलते गुजर गया।

 

जिला कलक्टर महावीर प्रसाद वर्मा द्वारा समय-समय पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निरीक्षण से सभी गतिविधियां सही चलती रहीं और आज श्रीगंगानगर जिले में कोरोना के केसेज़ नाम मात्र ही रह गये हैं। दोनों पति-पत्नी अब सामान्य जिन्दगी जी रहे हैं तथा आज भी जिला अस्पताल के सहयोग को याद करते हैं।

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